लॉस एंजिलिस: सबसे प्राचीन जीवाश्म सूक्ष्मजीवों का विश्लेषण करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्रह्मांड में परग्रही यानी एलियन जीवन हमारी सोच से कहीं अधिक सामान्य बात हो सकती है। इसके अध्ययन से यह भी संकेत मिला कि धरती पर जीवन करीब 3.5 अरब वर्ष पहले शुरू हुआ था।
लॉस एंजिलिस स्थित यूनीवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और अमेरिका में यूनीवर्सिटी ऑफ विस्कोंसिन-मेडिसन के वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन दो प्रजातियों का उन्होंने अध्ययन किया उन्होंने प्रकाश संश्लेषण के आरंभिक रूप में प्रदर्शन किया, अन्य ने मीथेन गैस उत्पन्न किया और दो अन्य ने मीथेन का अवशोषण कर इसका इस्तेमाल अपनी कोशिकीय दीवार बनाने में किया। पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया से ये सूक्ष्म जीव 3.465 अरब वर्ष पुराने हैं।
भिन्न समूह के जीवों का धरती के इतिहास में काफी पहले विकास हो चुका था, इस बात के सबूत मिलने से उन विचारों को मजबूती मिली है जिनमें ब्रमांड में कहीं और जीवन के अस्तित्व की बात कही जाती रही है। इसी कारण यह कहना असंभव होगा कि जीवन का धरती पर तेजी से विकास हुआ जबकि कहीं और इसका उद्भव नहीं हुआ।
यूसीएलए में प्रोफेसर जे विलियम शॉफ ने कहा, ‘धरती पर 3.465 अरब साल पहले ही जीवन अस्तित्व में आ गया था जो स्पष्ट रूप से आरंभिक प्रकाश संश्लेषक, मीथेन उत्पादक, मीथेन उपयोगकर्ता थे।’
एलियन्स को लेकर नासा करेगा अब तक का सबसे बड़ा खुलासा
वॉशिंगटन। एलियन के अस्तित्व को लेकर सालों से बहस हो रही है। अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक दूसरे ग्रहों पर जीवन है कि नहीं,उसकी तलाश कर रहे हैं। ऐसे में गुरुवार को अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा सालों पुरानी एलियन की जिंदगी को लेकर बड़ा खुलासा करने जा रही है।
केप्लर स्पेस टेलीस्कोप से मिली जानकारी के आधार पर नासा के वैज्ञानिक ब्रह्मांड के इस सबसे बड़े रहस्य से पर्दा उठाएंगे। गुरुवार को इस संबंध में नासा की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस प्रस्तावित है, जिसमें वो वैज्ञानिक, जो सालों से दूसरे ग्रह पर जिंदगी के सबूत तलाशने के काम में जुटे हैं, एलियन के बारे में अहम खुलासा करेंगे।
अबतक केपलर स्पेस टेलीस्कोप ढाई हजार से ज्यादा ग्रहों की पड़ताल कर चुका है। वहीं दो हजार से ज्यादा ग्रह की जांच की जाना बाकी है। अपनी जांच में केप्लर स्पेस टेलीस्कोप ने कई ग्रहों को तथाकथित “गोल्डिलॉक जोन” में अपने तारों का भ्रमण किया है, जहां तरल जल प्रवाह के लिए यह काफी गर्म है। ऐसे में गुरुवार को होने वाला ये खुलासा ऐसे ही किसी ग्रह से जुड़ा हो सकता है।
नासा ने एलियन को लेकर जारी किया था बयान-
नासा ने इसे लेकर पहले एक बयान जारी किया था, जिसमें एलियन के वजूद को लेकर इशारा किया गया था। नासा ने अपने बयान में कहा था कि- ‘केप्लर स्पेस टेलीस्कोप की टीम 2009 के बाद से अंतरिक्ष में जीवन की तलाश कर रही है और अब उन्हें ऐसा कुछ मिला है जो वाकई चौंकाने वाला है।’
इस दौरान दूरबीन ने कई पृथ्वी-आकार के ग्रहों को रहने योग्य पाया है और शोधकर्ताओं का मानना है कि उनमें से कुछ में जीवन की संभावना है। नासा के अधिकारियों के मुताबिक, यह चौंकाने वाली खोज Google द्वारा समर्थित मशीन सीखने के जरिए बनाई गई थी।’
अब वैज्ञानिक न्यू वेब स्पेस टेलीस्कोप पर काम कर रहे हैं, जो 2019 में लॉन्च किया जाएगा। इस टेलीस्कोप की मदद से केवल ग्रहों की तस्वीरें नहीं ली जाएंगी, बल्कि इसका प्राथमिक उदेश्य धरती की तरह अंतरिक्ष में दूसरा ग्रह खोजना है। हालांकि धरती जैसा दूसरा ग्रह ढूंढना नासा के लिए आसान नहीं होगा।
तो इंसानों की नहीं, एलियनों की धरती थी ये!

आदिकाल से ही इस धरती पर रहने वाले लोगों की दिलचस्पी हमेशा ये जानने में रही है कि इस लोक के अलावा क्या कोई दूसरा लोक भी है जहां कोई जीव रहते हैं?
विज्ञान को या वैज्ञानिकों को आज तक ऐसे कोई पक्के सुबूत नहीं मिले हैं जिन्हें देखकर ये दावा किया जा सके कि एलियनों का अस्तित्व वाकई में है। दावे प्रतिदावे तरह तरह के रहे हैं। कभी किसी अज्ञात उड़न तश्तरी देखने का दावा तो कभी धरती पर किसी हलचल का दावा।
लेकिन, विभिन्न तरह के साक्ष्य और भी हैं जो संकेत देते हैं कि हो सकता है कि एलियन होते ही हों और वो आज भी धरती पर आते हों और फिर चले जाते हों।
क्या आपने कभी सोचा कि धरती पर ऐसे कई निशान और सुराग मिले हैं जो ना सिर्फ बहुत पुराने हैं बल्कि वो इतने सटीक हैं कि ये सोचना मुश्किल है कि उस काल में रह रहे लोगों ने उन्हें बनाया होगा। इस कड़ी में स्टोनहेंज के रहस्य से लेकर नैजका लाइन्स की सत्यता तक सब कुछ शामिल है।
कौन है एलियन?
अगर हम इस विषय पर काम करने वाले विशेषज्ञों की बात मानें तो एलियन के होने-ना-होने की पूरी कहानी इस सोच पर केंद्रित है कि सदियों पहले कई और ग्रहों पर भी एलियन यानी के परलोकी जीवों का वास था।
हिस्ट्री डॉटकॉम के मुताबिक ये सोच मानती है कि दूसरे ग्रहों के ये प्राणी हमसें कहीं ज्यादा ज्ञानी हैं और उन्हें विज्ञान की हमसें कहीं अच्छी समझ है।
वो ये भी कहते हैं कि एलियनों के पास ऐसे उपकरण और साधन हैं कि वो धरती पर आते हैं और फिर चले जाते हैं। इस उपकरण को अक्सर अज्ञात उड़न तश्तरी यानी अनआइडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) के नाम से जाना जाता है।
चपटे गोले के आकार में दिखने वाले इन विमान के बारे में आज भी कई जगह लोग दावा करते हैं कि उन्होंने यूएफओ को देखा। इन पर कई किस्म की फिल्में बनी हैं। न केवल हॉलीवुड में बल्कि बॉलीवुड में भी। ईटी से लेकर क्रिश तक।
इसके अलावा लोगों के दावे भी हैरान कर देने वाले रहे हैं। बड़ी आंखें, बड़ा सा सिर, छोटा कद, अजीबगरीब आवाज और रहस्यमयी शक्तियां आदि।
स्टोनहिंज का राज
इंग्लैंड के विल्टशर में चट्टानों जैसे बड़े कई चौड़े पत्थर गोलाई के आकार में खड़े हैं। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इसे 3000 ईसा पूर्व में बनाना शुरू किया गया था और इसे बनाने का काम 2000 ईसा पूर्व तक चला। यानी ये लगभग 5000 साल पुराना है।
मध्य काल से बना हुआ ये स्टोनहेंज हमेशा से सबसे लिए एक रहस्य ही बनकर रह गया कि आखिर इसे बनाया क्यों गया था। आपस में जुड़ी और एकदम गोलाई में खड़े इन पत्थरों का राज अभी तक समझा नहीं जा सका है।
कई बार इसके निर्माण को दूसरे ग्रहों के प्राणियों से भी जोड़कर देखा जाता है। स्टोनहेंज के पत्थर इतने बड़े और विशालकाय हैं कि लगता नहीं कि बिना पर्याप्त साधनों के इन्हें यहां लाया जा सकता है या इस तरह से खड़ा किया जा सकता है।
मशहूर लेखक एरिक वॉन डैनिकन कहते हैं कि एलियनों ने ही उस वक्त के मनुष्यों के साथ मिलकर अपनी साइंस के बेहतर प्रयोग से इसे इतने सटीक ढंग से खड़ा किया होगा। ऐसा कहा जाता है कि स्टोनहेंज का संबंध लोगों कब्रिस्तान जैसी जगह से था।
सदियों पहले वहां से मानवों के कंकाल और टूटी हडिड्यों का मिलना इस बात को इंगित करती हैं। इसमें एक बात ये भी जोड़ी जाती है कि ये कोई ऐसी जगह रही होगी जिसमें लोगों की बीमारियों को ठीक करने की दिव्य शक्ति रही होगी।
ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां जो हड्डियां पाई गई हैं वो सभी बीमारियों या फिर किसी तरह के इंफेक्शन से ग्रस्त मिली हैं। लाइवसाइंस डॉट कॉम के मुताबिक माना जाता है कि स्टोनहेंज में ही कोई नीले रंग का पत्थर था जिसमें रोगों को ठीक करने की शक्ति थी।
नैजका लाइन्स का रहस्य
क्या आपने कभी नैजका लाइन्स के बारे में सुना है? दक्षिण अमेरिका के पैरू में नैजका रेगिस्तान में ऐसे कई डिजाइन मिले हैं, जिन्होंने पुरातत्वविदों को भी अचरच में डाल दिया।
ये कई तरह की सीधी रेखाएं हैं और कई दूसरे ज्यामितीय आकार भी जिनसे पक्षियों, मनुष्यों और जानवरों की आकृति उकेरी गई है।
वो इतने बड़े हैं कि उन्हें एक बार में ऊपर से ही देखा जा सकता है। लेकिन फिर भी इतने सटीक मानो कोई पैमाना लेकर बनाया गया हो।
आपको यहां बता दें कि नैजका में 300 साल ईसा पूर्व से लेकर से 800 ईस्वी सदी तक लोग रहे हैं। लेकिन ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं कि उन्होंने कोई उड़नतश्तरी बनाई हो।
इस पर एलियन विशेषज्ञों का मानना है कि एलियन वहां आते थे और ये लाइनें उनके स्पेशशिप का रनवे हुआ करती थीं। यानी के ये डिजाइन एलियनों की बनाई हुई है जो आज भी है।
कुछ दावे ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि हो सकता है कि उस जमाने के लोगों को भी एयरक्राफ्ट जैसी चीजें बनाने का कोई आइडिया हो, इस वजह से वो रनवे वहां आज भी बना हुआ है।
लेखक एरिक वॉन डैनिकन 1968 में अपनी किताब ‘चैरियट्स ऑफ गॉड’ में लिखते हैं कि नैजका दूसरे ग्रहों से आने वाले एलियनों के लिए लैंड करने के लिए चुनिंदा जगह थी। ये उन्हीं का रनवे था।
उनकी किताब में लिखी गई ये चीज ध्यान देने वाली है कि पेरू में दुनिया के कई तरह खनिज पदार्थों का भंडार है और यहां धरती को लेकर बढ़िया रिसर्च किया जा सकता है। इसलिए, एलियन अपना डेरा डालने के लिए इसी को चुनते थे। यहां उतरकर धरती को समझते थे।
तो फिर विमान क्या थे?
आपने रामायण और महाभारत जैसे पुराणों की कई कहानियां तो पढ़ी और सुनी होंगी। उनमें से कई कहानियों में देव या फिर असुरों के विमानों से सफर करने का जिक्र है।
तो उनको संज्ञान में लेकर ऐसा माना जाता है कि वो विमान कुछ और नहीं बल्कि एलियनों के अंतरिक्ष यान थे। हिस्ट्री डॉट कॉम के मुताबिक विमान भी एक तरह से एलियनों के उड़नतश्तरी का संकेत होते थे।
भारत में तो कोई यूएफओ या फिर उड़तश्तरी देखने का किस्सा सुनाई नहीं पड़ता। लेकिन हमारे पुराणों में विमानों के होने को यूएफओ से जोड़कर देखा जाता है। वेदों में जहां हाथी के मुख वाले विमान के बारे में बताया गया है वहीं कई पक्षियों को भी इन विमानों का मुख बनाया गया।
यहां तक कि कायरो और गीजा के 3000 साल पुराने न्यू किंगडम मंदिर के खंभों पर भी कई तरह के उड़तश्तरी बने हुए मिले हैं। इनमें से कुछ अंडाकार हैं तो कुछ चपटे हुए। साफ दिखता है कि उन्हें ऐसे चित्रित किया गया है जैसे वो हवा में उड़ रहे हो।
अगर हम विमानों के अस्तित्व को वैज्ञानिक चश्मे से देखें तो मान सकते हैं कि हो सकता है कि हमारे पूर्वज इतने दूरदर्शी रहें हों कि उनके पास भी विमान या फिर किसी इंसान द्वारा बनाई गई चीज को उड़ाने की सोच थी।
बिफोरइटन्यूज डॉटकॉम के मुताबिक साल 2012 में अफगानिस्तान के एक गुफा में 5000 साल पुराने एक विमान मिलने की बात सामने आई थी।
खबरों के अनुसार उसका राज ढूढ़ने और निकाल बाहर करने के लिए पहले दल में अमेरिकी सेना के 8 लोग भी गए थे। लेकिन, वो फिर कभी बाहर नहीं निकल सके।
इस्टर द्वीप की अजीबोगरीब मूर्तियां
पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के इस्टर द्वीप या यूं कहें कि इस्टर द्वीप का मॉय द्वीप सभी के लिए एक सवाल है। लेकिन ऐसी कई चीजें हैं जिनके बारे में समझाना मुश्किल होता है।
चिली के द्वीप में स्थित इस जगह पर ऐसी मानव मूर्तियां मिली हैं जिनके सिर बहुत बड़े हैं। आम इंसान के सिर ऐसे नहीं होते हैं और कोई सोच के भी इन्हें बनाए तो भी हर मूर्ति का सिर इतना बड़ा बनाना मुमकिन नहीं है।
कहते हैं कि रपा नुई सभ्यता के लोग मॉय के वासी थे। उस वक्त की महान हस्तियों के सम्मान में इन पत्थरों को खड़ा किया गया।
ये भी कहा जाता है कि इन पत्थरों को खड़ा करने का मतलब था पड़ोसी मुल्क को इशारा देना कि ये मॉय लोगों का मुल्क है। यहां पर भी यही बात सामने आती है कि जिस तरह के पत्थरों का प्रयोग इसको बनाने में किया गया है, वैसे पत्थर पूरे द्वीप में कहीं नहीं पाए जाते रहें हों, इसका कोई अवशेष नहीं मिलता।
एलियन विषयों पर काम करने वालों का कहना है कि हो सकता है कि यहां एलियन आए होंगे और उन्होंने ही अपनी ऐसी छाप छोड़ी होगी।
प्यूमा पंकु भी एक सवाल
साउथ अमेरिका के बोलिविया के पास प्यूमा पंकु नाम की एक जगह है पर कई बड़े पत्थरों की ऐसी श्रृखंला है जो बड़ी ही रहस्यमयी और दिलचस्प तरीके ये बनाई गई है।
इनमें से ज्यादातर पत्थरों को अंग्रेज़ी के एच और यू शेप में डिजाइन किया गया है। इसका हर पत्थर को बहुत करीने से तरीके से काटा गया है। लगता है जैसे कि हर डिजाइन और कट का कोई ना कोई महत्व होता होगा। हर एक पत्थर 800 टन का है।
पुरात्तविद कहते हैं कि प्यूमा पंकु से सबसे नजदीक पत्थर की खान भी मीलों दूर थीं। पत्थरों का यहां तक लाना बड़ा असंभव सा काम लगता है। तो वे वहां कैसे लाए गए ये एक अनसुलझी पहेली है।
फिर इनमें तो तकनीक अपनाई गई है वह भी गजब की है। ये अवशेष 1000 साल पुराने हैं। जब इतने सवाल उठते हैं तब कहा जाता है कि कहीं इनके पीछे भी एलियन तो नहीं हैं?
कहते हैं कि प्यूमा पंकु के लोग एलियनों को अपना भगवान मानते थे। एलियन कभी पुमा पंकु पर आए थे, उन लोगों से इस जगह को बनाने की बात कही थी। एलियनों ने इसे बनाने में कुछ मदद की थी और हो सकता है कि अपने भगवान को पूजने का ये स्थल माना जाता रहा हो।
वैसे वैज्ञानिकों का भी अनुमान है कि ये कोई पूजा स्थल रहा होगा और इसके चारों ओर चार लाख जैसी कोई आबादी बसती रही होगी।
क्रॉप सर्किल के बारे में जानते हैं?
क्या आपको पता है कि अमेरिका और दुनिया भर में कई जगहों पर फसल से भरे खेतों के बीच अजीबोगरीब डिजाइन मिलते हैं? कभी गोल तो कभी कोई और ज्यामितीय आकृति।
उलझा देने वाले इन पैटर्न को क्रॉप सर्किल का नाम दिया गया है। कई परिवारों ने ऐसा दावा किया है कि जब वो सुबह उठकर अपने खेतों में आए तब उन्हें फसलों की जगह खेत में ऐसे पैटर्न मिले हैं जो वहां रातोंरात कैसे बने, उन्हें नहीं पता।
गौर करने वाली बात है कि क्रॉप सर्किल की डिजाइन एकदम परफेक्ट ही बनी हर जगह मिली है। ये भी कि जहां पर क्रॉप सर्किल बने मिले हैं, वहां कहीं भी लोगों ने यूएफओ देखने की बात तक नहीं कही।
यूं तो कहा जाता है कि क्रॉप सर्किल के पीछे भी एलियनों का हाथ है, लेकिन अब ये रूक-रूक कर कई जगह इतनी ज्यादा संख्या में पाए जाने लगे हैं कि लगता है कि थोड़ी चर्चा में आने के लिए भी अब लोग इसे बनाते हैं।
मसलन, इसी साल जनवरी महीने में कैलिफोर्निया में पाए गए एक क्रॉप सर्किल की ने बड़ी सुर्खियां बटोंरी। चर्चा थी चौलर नाम की जगह पर एलियनों ने क्रॉप सर्किल बनाया है।
सीएनएन के मुताबिक बाद में एक मोबाइल प्रोसेसर कंपनी ने खुलासा किया कि मार्केटिंग के लिए उन लोगों ने क्रॉप सर्किल को अंजाम दिया था। इसी तरह साल 1991 में भी दो आदमियों ने भी बताया था कि क्रॉप सर्किल को उन्होंने जानबूझकर मजे लेने के लिए खुद ही बनाया था।
इस पर भारतीय मूल के हॉलीवुड निर्माता श्यामन नाइट ने एक फ़िल्म भी बनाई थी – द साइन।
विदेशों में ही क्यों दिखते हैं एलियंस?
पिछले साल जनवरी में हफपोस्ट के हवाले से एक खबर आई थी कि यूएफओ का देखा जाना इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के आस-पास बढ़ गया है।
नासा ने आईएसएस के कैमरों ने कई फुटेजों को रिकॉर्ड किया है जिनमें आईएसएस के चारों ओर और सामने से अंजान चीजों को गुजरते देखा गया है। लेकिन वो उल्कापिंड हैं या फिर एलियनों के यान, इसका कोई ब्यूरा नहीं दिया जा सका है।
दूसरी ओर ये भी गौर करने वाली बात है कि यूएफओ का दिखना उन जगहों पर ज्यादा है जहां परमाणु परीक्षण होते रहते हैं। जैसे की जापान, अमेरिका या फिर चीन। ऐसा माना जाता है कि हम जो परमाणु परीक्षण करते हैं, वो कहीं ना कहीं एलियनों को अपने तकनीक और मशीनी जीवनशैली से मिलती सी लगती है। हो सकता है इसलिए वो वहां पर चक्कर काटने आते हैं।
लेकिन दूसरी बात भी साथ ही आती है कि ये भी हो सकता है कि परमाणु परीक्षण के दौरान कई तरीके के परीक्षण किए जाते हैं और इसलिए वहां के इलाकों में यान और ऐसी कई चीजों को इंसान ही उड़ाता हो, लेकिन उसे दुनिया कुछ और ही समझती है।
यूएफओ की साइट रेटिंग्स बताती हैं कि उसे 26 बार परमाणु परीक्षण क्षेत्र में देखा गया है तो केवल 13 बार ऐसे क्षेत्रों में जहां ऐसे परीक्षण नहीं होते।
बनी कई फिल्में
अब इतना कुछ बताने और चर्चा करने के बाद, अगर हम यूएफओ और एलियनों से जुड़ी फिल्मों के बारे में बात ना करें, तो कुछ अधूरा छूट जाएगा। एलियन हमेशा से ऐसे चर्चे और उत्सुकता का विषय रहें हैं कि कई एलियन वाली फिल्मों को लोगों ने खासा पसंद किया है।
हॉलीवुड एक्टर विल स्मिथ की फिल्म इंडिपेनडेंस डे स्पेशल नोमेड्स आपको जरूर याद होगी। इस फिल्म में एलियनों को ऐसे जीव के में दिखाया गया है जो धरती को बर्बाद कर देना चाहता है। इसके अलीवा वॉर ऑफ द वर्ल्ड, स्टारमेन, एलियन और स्टीवन स्पिलबर्ग की ईटी खास हैं।
हमारे देश में एलियनों को लेकर सबसे पहली फिल्म बनी थी साल 2003 में आई ‘कोई मिल गया’। रितिक रोशन की इस फिल्म ने लोगों का दिल जीत लिया।
हमें नहीं पता कि एलियन हैं या नहीं, अगर हैं तो वो केवल मशीनी हैं या फिर उनमें भावनाएं भी हैं या फिर वो कैसे दिखते हैं। हमारी कल्पना में अक्सर वे लगभग इंसानों की तरह ही होते हैं सिवाय इसके कि कभी उनकी आंख अजीब होती है तो कभी उनके मुंह पर सर्पों जैसी कुछ संरचनाएं होती हैं और कभी कभी वो इंसान और सांप जैसे प्राणियों का मिश्रण होता है।
वह कभी अदृश्य होना जानता है तो कभी अथाह शक्ति का मालिक होता है। आज भी कई लोग ये दावा करते हैं कि उन्होंने दूसरे ग्रहों के प्राणियों को देखा है। वक्त-वक्त पर ऐसे लोगों की भी खबरें आती रहती हैं कि उन लोगों ने आसमान में अज्ञात उड़न तश्तरी यानी यूएफओ को उड़ते देखा।
लोगों के ऐसे भी दावें हैं कि उन्होंने उड़न तश्तरियां देखी हैं और यहां तक कि एलियन के साथ यौन संबंध भी बनाए हैं। लेकिन अब तक इस बात का कोई पुख्ता वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि किसी दूसरे ग्रह में जीवन है या इस ब्रह्मांड में पृथ्वी के अलावा कहीं कोई जीवन है।
यह सब साबित होते तक तो एलियन और यूएफओ सिर्फ किस्से हैं।